Swami Dayanand Saraswati Jayanti 2023। स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती l Most Popular Influencer

Swami Dayanand Saraswati jayanti 2023: नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करने वाले है भारत के एक महान चिंतक और समाज सुधारक Swami Dayanand Saraswati Jayanti की । भारत वर्ष में Swami Dayanand Saraswati Jayanti बहुत धूम धाम से मनाई जाती है।

Swami Dayanand Saraswati Jayanti 2023

आधुनिक भारत के महान चिंतक, समाज सुधारक तथा आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayanand Saraswati Jayanti 2023) का जन्म 12 फरवरी 1824 में गुजरात की मोरबी रियासत (काठियावाड़ छेत्र) के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनका बचपन का नाम मूलशंकर था। स्वामी दयानंद सरस्वती के पिता का नाम करशनजी लालजी तिवारी और माता का नाम यशोदा बाई था। स्वामी दयानंद सरस्वती बचपन से ही चिंतन, संस्कृत, वेदों और शास्त्रों के अध्ययन मे रूची रखते थे।

Swami Dayanand Saraswati Early Life

स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayanand Saraswati Jayanti 2023) के बचपन की कई घटनाएं जैसे शिवरात्रि के अवसर पर भगवान शंकर को चढ़ाए गए प्रशाद (लड्डू) को चूहों द्वारा जूठा करना और अपनी छोटी बहन और चाचा को हैजा से मृत्यु होने के कारण खो देना। इन दोनो घटनाओं का उनके जीवन पर अत्यन्त गहरा प्रभाव पड़ा था।

स्वामी दयानंद सरस्वती के माता पिता उनका विवाह बचपन में करना चाहते थे जिसके कारण स्वामी दयानंद सरस्वती ने सन् 1946 में अपना घर त्याग कर दिए और सत्य की खोज करने निकल पड़े। स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayanand Sarashwati jayanti 2023) ने सन् 1860 में मथुरा में अपने गुरु स्वामी वीरजानंद जी से वेदों के शुद्ध अर्थ तथा वैदिक धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा प्राप्त की। स्वामी दयानंद सरस्वती शुद्ध वैदिक परंपरा में विश्वास करते थे इसीलिए उन्होंने ‘वेदों के ओर लौटो’ तथा ‘ वेद ही समस्त ज्ञान के स्रोत हैं’ का नारा दिया।

उन्होंने उत्तर वैदिक काल से आज तक में सभी प्रकार के अन्य मतों को पाखंड या झूठे धर्म की संज्ञा दी और सन् 1867 में स्वामी दयानंद सरस्वती ने ‘पाखंड खंडिनी पताका’ लहराई। इसी क्रम में स्वामी दयानंद सरस्वती ने सन् 1875 में बंबई में ‘आर्य समाज’ की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य प्राचीन वैदिक धर्म के शुद्ध रूप से पुनः स्थापना करना था। धार्मिक छेत्र में वह मूर्ति पूजा, बहुदेववाद अवतारवाद, पशुबली, तंत्र मंत्र आदि पर विश्वास नही करते थे। 1877 में आर्य समाज मुख्यालय लाहौर में स्थापित किया गया । स्वामी दयानंद सरस्वती को उनके धार्मिक सुधार प्रयासों के कारण ही उनको ‘भारत का मार्टिन लूथर किंग’ कहा जाता है।

स्वामी दयानंद सरस्वती विदेशी दासता को एक अभिशाप के रूप में मानते थे और स्वतंत्रा और लोकतंत्र के समर्थक थे। स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayanand Saraswati Jayanti 2023) के के विचार उनकी प्रमुख पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश ‘ में निहित हैं। उन्होंने अनेकों पुस्तको की रचना की जिनमें पाखंड खंडन, वेदभास्य भूमिका, ऋग्वेद भाष्य तथा वल्लभाचार्य मत खंडन प्रमुख है। स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था कि, “अच्छा शासन स्वशासन का स्थापन्न नहीं है। ” स्वामी दयानंद सरस्वती ने ही सर्वप्रथम स्वराज’ शब्द का प्रयोग किए थे।

स्वामी जी की मृत्यु 30 अक्टूबर 1883 को दीपावली के दिन हुई थी। उन दिनों वे जोधपुर नरेश महाराज जसवन्त सिंह के निमन्त्रण पर जोधपुर गये हुए थे।

तो दोस्तों, आपको Swami Dayanand Saraswati Jayanti 2023 से जुड़ी सारी जानकारी कैसी लगी comment box में जरूर बताएं और अपने पसंदीदा अभिनेता या अभिनेत्री का जीवन परिचय पढ़ने के लिए Home पेज पर अवश्य विजिट करें।

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